आरम्भ एक नयी यात्रा का
मृत्यु एक अंत नहीं, आरम्भ है एक नयी यात्रा का ,
इस यात्रा हेतु बिछड़े जन का दुख, निश्चित ही दर्द देता है।
किन्तु उस व्यक्ति का मात्र शरीर इस संसार से गमन करता है।
उस व्यक्ति का व्यक्तित्व, अस्तित्व.
असंख्य यादो में, विश्वास में , विध्यमान रहता है।
वह व्यक्ति वास्तव में तब तक जीवित है,
जब तक उसके विचार, सोच, भावनाएं,
एक भी जीवित व्यक्ति के मस्तिष्क में जाग्रत है।
जब तक एक भी इंसान विश्वास रखता है ,
कि वह गुजरा व्यक्ति जहां भी है, अच्छा रहे, प्रसन्न रहे,
यह सोच ही एक इंसान को अनंत तक जीवित रखती है।
पूर्वजधाम यह प्रयास करना चाहता है कि यही विश्वास पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसारित हो ,
पीढ़िया अधिक समय तक अपने पूर्वजो को जानें , समझे और अमरत्व प्रदान करे।
धन्यवाद।
A thoughtful write up!