प्रमाणक अनुभव
मेरे किसी बिछड़े जन विशेष के साथ मेरी यादें, वो चित्र, वो कहानिया – जो हर पल मुझे उस इंसान कि याद दिलाती है , अब तक सिर्फ मेरे दिमाग में, मेरी बातो में रही। मैं कोई लेखक तो नहीं कि कोई किताब लिखकर उन कहानियो को संगृहीत कर सकूँ। किन्तु उत्तम अवसर आने पर अपनी छोटी छोटी यादो को छोटी सी कहानियो के तौर पर ही दुनिया के साथ साझा कर पाऊ और इतिहास के पन्नो पर सहेज पाऊं तो स्वयं को खुशनसीब समझूंगा। पूर्वजधाम का यह प्लेटफार्म मुझे इन छोटी छोटी यादो को संगृहीत करने में मदद करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
इसी कड़ी में , मैं अपने दादाजी से जुडी एक कहानी अंकित करना चाहूंगा। मेरे दादाजी बहुत ही कड़क / उग्र स्वभाव के थे। किन्तु जब मेरे एक चाचाजी का निधन हुआ, जो कि उनके भतीजे थे रिश्ते में। ऐसे अवसर पर जब एक रोज़ में उनके साथ बैठा था अकेले, उस वक़्त उग्र स्वभाव वाले मेरे दादा जी भर कर रोये। कहने लगे कि वो अपने भतीजे से कितना लगाव रखते थे और उन्हें कितना याद कर रहे है। वो बेपनाह दर्द में थे। अपना दिल हल्का करने के बाद, वे मुझसे बोले, बेटा ! मैं परिवार के सामने कमजोर नहीं दिख सकता। यह रोने वाली बात किसी से न कहना।
आप भी अपने पूर्वजो को याद रखिये, उनकी यादो के बारे में लिखिए, उनके चित्र इस प्लेटफार्म पर साझा कीजिये और उन दिव्यात्माओ को इस संसार में हम लोगो के बीच अनंतकाल तक जीवित रखिये।
I miss you grandpa .
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